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बीकानेर के कांग्रेसी मुसलमानों ने चार सालों में कांग्रेस पार्टी के नेताओं के स्वागत सत्कार में पलकें बिछाई,लेकिन मिला क्या,,

आईरा समाचार बीकानेर के कांग्रेसी मुसलमानों ने चार सालों में कांग्रेस पार्टी के नेताओं के स्वागत सत्कार में पलकें बिछाई।गिनीज़ बुक में कारनामे दर्ज़ होने की दरकार।बेगानी शादी में नाचने वाले अब्दुल्ला को अब नेताओं को माला पहनाने के बहाने चाहिए।17 दिसंबर 2018 को राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी, चुनाव में समूचे राजस्थान में मुस्लिम समाज ने कांग्रेस पार्टी को जम कर वोट दिए , यह सच है कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार की मुख्य वजह प्रदेश का मुसलमान रहा, अब्दुल्ला ख़ूब नाचा, ख़ूब वोट डलवाए, कांग्रेस पार्टी के नेताओं की मीटिंगों में भीड़ जमा की, दरिया बिछाई, उछल उछल कर नारे लगाए और क्यों ना लगाते, कांग्रेस को अपना हमदर्द मान रखा गया।
राजस्थान में श्री अशोक गहलोत मुख्य मंत्री बने, श्री सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया, अल्प संख्यक समाज से सालेह मोहम्मद को कैबिनेट मंत्री बना दिया गया, कितने फक्र की बात है कि उन्हें वक्फ संपत्तियों की देखरेख और अल्प संख्यक मंत्रालय का हेड बना दिया गया।तीन साल बाद एक अन्य बहन जाहिदा खान को भी राज्य मंत्री बना दिया और प्रिंटिंग प्रेस का स्वतन्त्र महकमा दे दिया ? जाहिदा खान के पिता चौधरी तैयब हुसैन मेव समाज के बड़े नेता थे, वे पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तीनों राज्यों में मंत्री रहे थे।मुसलमानों का कहना है कि हमने प्रदेश में शत प्रतिशत वोट कांग्रेस को दिए  बिलकुल सही कहा लेकिन मुसलमान यदि कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं देता तो किसको देता।भाजपा को मुस्लिम वोट की जरुरत नहीं है क्योंकि हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण करना है। राजस्थान में और दुसरा कोई राजनैतिक दल नहीं है।ओवैसी जैसे लोग मुसलमानों को भावुक कर बीच मझधार में छोड़ने को आज भी तैयार है।राजस्थान में अभी कुल 30 मिनिस्टर बनाए हुए हैं ? जिनमें जाट समाज के पांच मंत्री हैं, 4 कैबिनेट और एक राज्य मंत्री, अनुसूचित जनजाति में 3 केबिनेटऔर 2 राज्य मंत्री, अनुसूचित जाति के 4 मंत्री, राजपूत समाज से 1केबिनेट और 1राज्य मंत्री, 2 ब्राह्मण समाज के केबिनेट मंत्री, बनिया समाज से 2केबिनेट और 1राज्य मंत्री, गुजर समाज से एक केबिनेट और एक राज्य मंत्री, एक राज्य मंत्री यादव, एक केबिनेट पटेल और एक राज्य मंत्री बिश्नोई समाज से बनाए गए हैं।विधानसभा स्पीकर सी पी जोशी ब्राह्मण, चीफ़ विप महेश जोशी ब्राह्मण, दूसरी ओर रामेश्वर डूडी एवं चन्द्र भान चौधरी को बेक डोर से कैबिनेट मंत्री की रैंक दी गई है।अब्दुल्ला समाज की सोच उर्दू भाषा, पेरा टीचर, वक्फ संपत्तियों, हज कमेटी बस यहीं तक और मांग समाप्त हो जाती है ? मुस्लिम विधायकों की एकता का आलम यह है कि इस बात का इन्तजार किया जाता है कि किसी को हटा दिया जाए तो वह उस पद पर क्लेम कर सके।वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष पहले खानू खान कायमखानी को बनाया गया था, लेकिन मुख्य मंत्री की मेहरबानी से दुबारा से फिर वक्फ बोर्ड अध्यक्ष बना दिया गया मुस्लिम इदारों के सदर का फैसला मुस्लिम समाज नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी के मुख्य मंत्री अपनी मर्ज़ी से करेगें।दिनांक 18 मार्च 2021 को विधानसभा में मुख्य मंत्री श्री अशोक गहलोत ने बजट में घोषणा की थी कि प्रदेश में उर्दू विषय को सपोर्ट किया जायेगा ? जिन प्राथमिक विद्यालय में दस बच्चे उर्दू पढ़ना चाहेंगे, उनमें उर्दू टीचर लगाए जायेंगे, प्रदेश में उर्दू टीचर्स 444 से बढ़ा कर 1000 तक कर दिए जायेंगे, स्कूलों में उर्दू की किताबें मुहैया करवाई जायेगी।लेकिन आज दो साल दो महीने बीत चुके हैं, केवल मात्र उर्दू के बजट घोषणा पर कोई काम नहीं किया गया है ? तक़रीबन 9 मुस्लिम कांग्रेस विधायक हैं परन्तु कोई भी विधायक आवाज़ उठा कर बिना वजह नाराज़गी मोल क्यों लेना चाहेगा।लेकिन राजस्थान और बीकानेर का अब्दुल्ला बहुत खुश है ? प्रदेश में शिक्षा मंत्री बीकानेर के हैं, लेकिन बीकानेर के कांग्रेसी मुसलमानों ने कभी भी मुख्य मंत्री के मार्च 2021 में की गई उर्दू विषय के घोषणा को लागू करने की मांग भी नहीं की।राजस्थान उर्दू बचाओ संघर्ष समिति के स्वयंभू प्रदेशाध्यक्ष भी बीकानेर शहर के ही हैं।बीकानेर जिले के कई ऐसे कांग्रेसी मुसलमान हैं, जिन्होंने आज तक केवल मात्र कांग्रेसी नेताओं का आदर सत्कार और जिंदाबाद के उछल उछल कर नारे लगाए हैं। एक सर्वे के अनुसार आज तक 90 प्रतिशत मालाएं, साफे और साल कांग्रेसी नेताओं को चन्द मुस्लिम नौजवानों ने ही पहनाएं हैं ? ये लोग जिंदाबाद के नारे लगाने को ही असली राजनीति समझते हैं।दो दिन पहले राजस्थान वक्फ बोर्ड अध्यक्ष बीकानेर शहर में आए थे, किसी ने भी खानू खान से सवाल नहीं किए कि वक्फ बोर्ड अध्यक्ष बनने के बाद मुस्लिम समुदाय के लिए क्या काम किए ? कितनी मुस्लिम समाज की अचल वक्फ की जायदाद को कब्जे धारियों से मुक्त करवाया ? क्या स्वागत करने वाले मुसलमानों को यह सवाल नहीं करने चाहिए थे ? लेकिन हमने केवल स्वागत किए।बीकानेर शहर में दो तरह के युवा मुसलमान हैं, एक वे लोग हैं जिनमें मुसलमानों को राजनेतिक रूप से तिरस्कृत किए जाने पर गुस्सा है, एक आग है, वे मुस्लिम मोहल्लों में गली गली घूम कर समाज में जागृति लाने के लिए मुस्लिम महा पंचायत बुलाने का प्रयास कर रहे हैं, तो दूसरी ओर कई ऐसे मुसलमान है जो दिन भर तेल लगाने के काम को ही बड़ी राजनीति समझ रहा है फैसला आवाम करे, क्या सही है और क्या गलत ?
फकत
सैय्यद महमूद
प्रधान संपादक
बीकानेर की आवाज़
बीकानेर ।

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