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बीकानेर लोकसभा प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल को अंबेडकर फाउंडेशन का अध्यक्ष बनाया पर राज्य मंत्री का दर्जा नहीं दिया।

आईरा समाचार बीकानेर बीकानेर लोकसभा प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल को अंबेडकर फाउंडेशन का अध्यक्ष बनाया पर राज्य मंत्री का दर्जा नहीं दिया ?
आगामी विधानसभा चुनाव में खाजूवाला क्षेत्र से किसी मज़बूत धमाके की आशंका ?
मदन गोपाल मेघवाल 2023 का विधानसभा चुनाव खाजूवाला क्षेत्र से किसी भी पार्टी से लड़ सकते हैं ?
मदन गोपाल मेघवाल ने बीकानेर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आईपीएस की नौकरी से रिटायरमेंट लिया , हालांकि वे एस पी के पद पर कार्यरत थे और पुलिस महकमें में वे आई जी पुलिस बन सकते थे ? लेकिन तमन्ना थी कि नौकरी छोड़ राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई जाए ? और उन्होंने यह जोखिम अपना ली !
सन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीकानेर क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी ने उनको टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस में भयानक फूट और ग्रूपिज्म की वजह से जबरदस्त भीतरघात हुआ ? कांग्रेस पार्टी के ही नेताओं ने सभी आठों विधानसभा क्षेत्र में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कांग्रेस पार्टी की जड़ों में तेल पिलाने का काम किया ?
छह माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में बीकानेर पश्चिम से कल्ला जी करीबन छह हजार वोटों से जीत गए और पूर्व क्षेत्र से कन्हैया लाल झवर लगभग छह हजार वोटों से हार गए ? यानि दोनों के वोट जोड़े जाएं तो कांग्रेस और भाजपा के बराबर वोट होते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल की इन दोनों क्षेत्र में 83,000 वोटों से हार हुई ?
खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र से छह महीने पहले विधायक गोविन्द राम चौहान 31,000 वोट से आगे रहते हैं जबकि छह माह बाद मदन जी 19,000 वोट से पिछड़ जाते हैं ? यानि 50,000 वोट का अन्तर आ जाता है ? कमोवेस यही हालात बाकि जगहों पर रहे ?
लोकसभा चुनाव में सभी आठों जगहों के वोट मिलाएं तो करीबन 2,67,000 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी की हार हो गई ? मदन गोपाल मेघवाल तो बिलकुल नए थे, क्या क्षेत्र के विधायक और कांग्रेस के अन्य नेताओं की कोई जिम्मेदारी और जवाबदेही नहीं थी ? ऐसा लगता है कि बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का कोई जनाधार ही नहीं है ?
आश्चर्य इस बात का है कि कांग्रेस आला कमान ने आज तक किसी भी कांग्रेस के नेता के खिलाफ़ भी कोई ऐक्शन नहीं लिया और इतनी बड़ी हार को लेकर किसी से कोई सवाल ही नहीं किया ? चर्चा है कि यदि भाजपा होती तो जवाबदेही अवश्य तय की जाती और हो सकता है कि कुछ नेताओं को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया जाता ?
राजस्थान सरकार ने बीकानेर जिले से जीते हुए तीनों विधायको को मंत्री बना दिया , बी डी कल्ला जी और गोविन्द राम जी को कैबिनेट और भंवर सिंह भाटी को राज्य मंत्री बना दिया गया ?
इसके अलावा किसान नेता रामेश्वर डूडी को किसान आयोग का अध्यक्ष बना कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया , पूर्व देहात कांग्रेस अध्यक्ष लक्षमण कड़वासरा को भूदान बोर्ड चैयरमेन बना कर राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया, पूर्व देहात कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र गहलोत को केश कला बोर्ड का अध्यक्ष बना कर राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया , सन 2019 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने वाले डूंगर राम गैदर को माटी कला बोर्ड का अध्यक्ष बना कर राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया , लेकिन दलित समाज के नेता मदन गोपाल मेघवाल को अंबेडकर फाउंडेशन का अध्यक्ष बनाया गया परन्तु कोई मिनिस्टर का दर्जा नहीं दिया गया ? क्या किसी के दवाब में राज्य मंत्री के ओहदे को रोका गया है , इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं ? जनता सब समझती है ?
यह सही है कि मौजूदा समय में कांग्रेस पार्टी के प्रति समूचे प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में रोष है, 2023 का चुनाव जीतने की कांग्रेस की कोई योजना भी है, यह धरातल पर नजर नहीं आ रहा है ?
बीकानेर जिले में करीबन दो लाख मुस्लिम वोट हैं , जो कांग्रेस के वोटर हैं, लेकिन उनमें भयानक असंतोष पैदा हो रखा है , व्यापक स्तर पर नाराज़गी है ?
बीकानेर पूर्व क्षेत्र में कन्हैया लाल झवर की बहुत अच्छी प्रतिष्ठा थी, जनता उनके साथ थी, झवर ने चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी थी, चर्चा है कि जयपुर से उनको आयन्दा बीकानेर पूर्व से टिकट देने से मना कर दिया गया और उनको निराश होकर नोखा जाना पड़ गया ? आज बीकानेर पूर्व क्षेत्र में कांग्रेस का कोई नेता नहीं है ?
नोखा, कोलायत, खाजूवाला, लूणकरणसर, डूंगरगढ़ और बीकानेर शहर की दोनों सीटों में कांग्रेस पार्टी को बेहद कमज़ोर माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेताओं को कोई चिन्ता नहीं है ? कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जितनी दुर्गति अभी की जा रही है, पूराने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया है ?
मदन गोपाल मेघवाल को पी सी सी सदस्य ही नहीं बनाया गया जबकि खाजूवाला विधायक गोविन्द राम चौहान को पी सी सी का उपाध्यक्ष भी बना दिया गया, उनकी पुत्री सरिता चौहान को पी सी सी का इलेक्टेड सदस्य बनाया गया और गोविन्द राम चौहान को ए आई सी सी का इलेक्टेड सदस्य भी बनाया गया है ?
पिछले दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से मदन गोपाल मेघवाल ने खाजूवाला विधानसभा से चुनाव लड़ने की संभावना जताई गई है ?
राजनीति के जानकार इसे बेहद गंभीरता से देख रहे हैं ?
सन 2009 से लगातार तीन बार अर्जुन राम मेघवाल भाजपा से सांसद जीतते आ रहे हैं ? खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र से सन 2008 और 2013 में भाजपा से डॉक्टर विश्वनाथ मेघवाल विधायक चुनते आ रहे हैं, चर्चा है कि देवी सिंह भाटी और अर्जुन राम मेघवाल के छत्तीस के आंकड़े हैं ? लेकिन डॉक्टर विश्वनाथ मेघवाल को देवी सिंह भाटी का खास आदमी समझा जाता है ? इसी वजह से शहर में अर्जुन राम मेघवाल और विश्वनाथ मेघवाल के आपसी सम्बन्ध अच्छे नहीं माने जाते हैं ?
विश्वनाथ मेघवाल की सन 2018 के चुनाव में लगभग 31,000 वोटों से हार हो गई थी ! आशंका है कि डॉक्टर विश्वनाथ की टिकट काटी जा सकती है ?
शहर में चर्चा है कि भाजपा द्वारा खाजूवाला क्षेत्र के लिए किसी बड़े दलित नेता के चेहरे की तलाश की जा रही है ?
खाजूवाला क्षेत्र में 60,000 के करीब मुस्लिम वोट हैं और मदन गोपाल मेघवाल के क्षेत्र के मुसलमानों से बेहद नजदीकी और मधुर सम्बंध हैं और क्षेत्र में जबरदस्त इमेज है ?
खाजूवाला विधानसभा क्षैत्र में चर्चा है कि मदन गोपाल मेघवाल को भाजपा से टिकट दी जा सकती है ? यह भी सच्च है कि वह किसी भी राजनैतिक दल में शामिल होते हैं तब भी क्षेत्र के वोटर्स, विशेष रूप से मुस्लिम समाज मदन गोपाल मेघवाल को वोट देने में कोई परहेज़ भी नहीं करेगा ?
इन तथ्यों की जानकारी भाजपा को भली भांति रूप से है इसलिए राजनीति के जानकार मानते हैं कि भाजपा द्वारा मदन गोपाल मेघवाल को भाजपा से टिकट लेने का दबाव बनाया जा सकता है ? इसके अतिरिक्त हनुमान बेनिवाल भी खाजूवाला क्षेत्र में अपनी ताकत झौंक रहे हैं इसलिए उनकी पार्टी की भी सम्भावना बन सकती है ?
राजनीति में कुछ भी सम्भव हो सकता है ? मनफूल सिंह भादू, नारायण दत्त तिवारी, ज्योति राजे सिंधिया, पंजाब के पूर्व पी सी सी अध्यक्ष सुनिल झाखड़, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कप्तान अमरेन्द्र सिंह , गुलाम नबी आजाद जैसे लोग भी कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह चुके हैं ?
लगता है खाजूवाला क्षेत्र में कोई बड़ा धमाका हो जाए ?
फकत
सैय्यद महमूद
प्रधान संपादक
बीकानेर की आवाज़
बीकानेर ।

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