बीकानेर जिले में मुस्लिम समाज के राजनैतिक सोच में बदलाव आता दिखाई दे रहा है।
आईरा समाचार बीकानेर जिले में मुस्लिम समाज के राजनैतिक सोच में बदलाव
खाजूवाला और बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में मुसलमानों के भाजपा प्रत्यासी को बहुतायत के वोट मिलने का रुझान आ रहा है।
सत्ता पर काबिज़ होने के लिए नेता करते हैं हिन्दू मुस्लिम।
सन 2018 के चुनाव में बीकानेर जिले की सातों सीटों पर मुस्लिम समाज ने अपने शत प्रतिशत वोट कांग्रेस पार्टी को दिए थे, नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस के तीन नेता बीकानेर पश्चिम से बी डी कल्ला, कोलायत से भंवर सिंह भाटी और खाजूवाला से गोविन्द राम मेघवाल विधायक बन गए और मुख्य मंत्री श्री अशोक गहलोत ने इन तीनों को मंत्री बना दिया ।बीकानेर पूर्व से कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया लाल झवर, लूणकरणसर में वीरेन्द्र बेनीवाल को वोट दिया, कमोवेस ऐसा ही नोखा और डूंगरगढ़ के मुसलमानों ने किया, मुसलमानों ने इन सभी को अपना हितेषी, अपना हमदर्द, अपना रहनुमा माना । लेकिन हकीकत में बीकानेर जिले के मुस्लिम समाज को क्या मिला ये सभी तीनों मंत्री सत्ता का सुख बहुत शान से भोगते रहे और जिले का मुस्लिम समाज इनके चेहरों को देख देख ही खुश होता रहा । मंत्रियों को खुश करने के लिए इनके जन्मदिन पर केक काटे, दरगाहों पर चद्दर चढ़ा कर इनके दिर्घायु के लिए दुआएं करता रहा, गायों को गुड़ और चारा खिलाते हुए फ़ोटो खिंचवाता रहा इतना ही नहीं इनके परिवार के सदस्यों के जन्मदिन की खुशियां मनाने में भी एक से बढ़कर एक ने आगे बढ़कर हिस्सा लिया लेकिन बदले में क्या मिला पूरे पांच साल बीकानेर शहर में यू आई टी चैयरमैन बनाने के लिए सैंकड़ों मुसलमान जयपुर इन नेताओं की चौखट पर हाज़िरी देते रहें ? बीकानेर के रामेश्वर डूडी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला, महेन्द्र गहलोत, लक्ष्मण कड़वासरा और मदन गोपाल जी को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया गया, शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत को बना दिया, देहात कांग्रेस अध्यक्ष बिशना राम को बना दिया । मुसलमानों के लिए सत्ता के अंगूर खट्टे रह गए।
यह हो सकता है लोगों को कड़वी लगे लेकिन यह हकीकत है कि मुसलमानों को इन नेताओं ने डोलबायरा ही समझा ।
सिद्धी कुमारी जब पहली मर्तबा विधायक बनी थी तब रिडमल सर गांव में विधायक कोटे से करीबन तीन करोड़ रुपए खर्च किए थे लेकिन गांव के लोगों ने उनको वोट नहीं दिए थे तो फिर वे इन विधायक महोदया के पास जाने में एक झिझक महसूस की जाने लगी ।लूणकरणसर के विधायक सुमित गोदारा ने भी मुस्लिम गांवों में विधायक कोटे से काम करवाया लेकिन खाजूवाला का मुसलमान पूरे पांच साल खोफ के साए में जीने को मजबूर हो गया ।
खाजूवाला और छतरगढ़ एरिया को अनुपगढ़ में धकेल दिया गया, जिसके लिए पूरे इलाके को सड़कों पर निकल आंदोलन करना पड़ा। अब मुस्लिम समाज के युवा वर्ग को समझ में आ गया है कि कोई हिन्दुओं को एक होने का नाम लेकर सत्ता के शिखर पर जाना चाहता है तो दूसरा मुसलमानों में दूसरे दल का डर दिखा कर येन केन प्रकारेन सत्ता पर ही काबिज़ होना चाहता है ।कांग्रेस के कई मंत्रियों पर पूरे पांच साल कांग्रेस के ही दूसरे मंत्रियों और विधायकों ने आर एस एस के लोगों के काम करने के सार्वजनिक रूप से आरोप लगाते देखा गया है ? जनता सब जानती है ।यह एक हकीकत है कि डॉक्टर विश्वनाथ मेघवाल, सिद्धी कुमारी और सुमित गोदारा पहले कोई आर एस एस पृष्ठ भूमि के नहीं हैं, व्यक्तिगत जीवन में इन लोगों की मानसिकता मुस्लिम विरोधी नहीं है । इसीलिए खाजूवाला और बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोट बहुतायत में इन भाजपा के उम्मीदवारों को वोट मिलने के आसार बन रहे हैं । एक तरफ़ खाजूवाला में हर रोज हजारों की तादाद में डॉक्टर विश्वनाथ मेघवाल के साथ जुड़ रहे हैं तो दूसरी ओर दिनांक 12 नवम्बर को रिडमल सर गांव में सिद्धी कुमारी का भव्य स्वागत किया गया था और उन्हें आश्वस्त किया गया कि गांव से आपको अच्छे वोट दिए जायेंगे ।मुसलमान अब यह समझने लगा है कि ये राजनेता केवल मुस्लिम समाज से नारे लगवाने, दरियान बिछवाने के ही काम लेना चाहते हैं ।अब्दुल्ला की हैसियत नाचने के अलावा कुछ भी नहीं है । अब राजस्थान की मुस्लिम जनता ओवैसी जैसे सांप्रदायिक बातें करने वालों के भी साथ नहीं है इसीलिए ओवैसी की जयपुर की मीटिंग में मुसलमानो ने लगभग बहिष्कार ही कर दिया था ।
बीकानेर जिले के मुस्लिम समुदाय को कर्नाटक की तर्ज़ पर चलना चाहिए । कर्नाटक में मुस्लिम समाज ने चुनाव के माहौल से अपने आपको दूर रखा और मतदान के दिन चुपचाप अपने वोट का इस्तेमाल किया है।देखते हैं बीकानेर जिले का मुसलमान बेगानी शादी में कितना उछल उछल कर नाच करता है।