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राजस्थान की खाकी का इकबाल पस्त होते हुए नजर आरहा है।

राजस्थान बना गैंगस्टर्स का ‘रण’स्थान, हिरासत में गोलीकांड से खाकी निशाने पर

जयपुर। बुधवार को भरतपुर में कुलदीप जाघीना हत्याकांड के मामले में भले ही राजस्थान पुलिस ने 4 बदमाशों को थोड़ी देर बाद गिरफ्तार कर लिया हो, पर इस वारदात ने एक बार फिर राजस्थान में खाकी के इकबाल पर सवाल खड़े कर दिए हैं. राजस्थान में कई ऐसी वारदात हुई है, जिनमें पुलिस की मौजूदगी के बीच गैंगवार के खूनी नतीजे सामने आए हैं. जाहिर है कि पूरे देश में बीते दिनों उत्तर प्रदेश में इसी साल अप्रैल में नामी बदमाश अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या का मामला पूरे देश की सुर्खियों का हिस्सा रहा था. परंतु राजस्थान में यह सिलसिला पहली बार नहीं, बल्कि कई मर्तबा दोहराया जा चुका है. जहां नामचीन बदमाशों को पेशी के वक्त विरोधी गैंग की ओर से मार गिराया जाता है. एक के बाद एक वारदातों के बावजूद पुलिस ने सबक नहीं लिया और बुधवार को एक और गोलीकांड सामने आ गया.
भानु प्रताप हत्याकांड से शुरू हुआ था सिलसिला :कोटा संभाग के नामचीन बदमाश भानु प्रताप सिंह और शिवराज सिंह के बीच की रंजिश का अंत पुलिस हिरासत में भानु प्रताप की मौत के रूप में हुआ था. 18 अप्रैल 2011 को भीलवाड़ा के मेनाल के नजदीक उदयपुर से झालावाड़ ले जाते वक्त पुलिस वेन में बदमाशों ने भानु प्रताप को मौत के घाट उतार दिया था. इस दौरान दो पुलिस कमांडो भी शहीद हो गए थे. पुलिस की वैन को घेरकर हाईवे पर गोलीबारी की यह वारदात कई सवाल खड़े कर चुकी थी. इसके बाद नागौर के परबतसर में भी ऐसा ही एक घटनाक्रम हुआ, जब कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को फिल्मी अंदाज में पुलिस की गाड़ियों को घेर कर बदमाशों ने रिहा करवा लिया. 3 सितंबर 2015 को हुई इस घटना में भी पूरी तरह से राजस्थान की खाकी का इकबाल पस्त होते हुए नजर आया था. इसके बाद 6 सितंबर 2019 को अलवर के बहरोड़ थाने में पुलिस की गिरफ्त में पपला गुर्जर को बदमाश AK47 राइफलों के दम पर छुड़ाकर ले गए थे. हालांकि इन सभी वारदातों में पुलिस ने बदमाशों को मार गिराने या फिर गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की, लेकिन एक के बाद एक इन वारदातों ने खाकी की कमजोर रणनीति की ओर भी इशारा किया.
पुलिस हिरासत में इन गोलीकांड पर भी सवाल :राजस्थान में बदमाशों को पुलिस की ओर से पेशी पर लाए जाने के दौरान गोलीबारी और गैंगवार की घटनाओं में 25 सितम्बर 2002 को सुमेर फगेड़िया हत्याकांड का भी जिक्र आता है. चूरू के राजगढ़ कोर्ट परिसर में सुमेर फगेड़िया पर अंधाधुंध गोलियां चली थी. इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने वाले अपराधी इतने बेखौफ थे कि वे गोलियों से छलनी सुमेर का शव तक उठाकर ले गए थे. इसी तरह से जनवरी दो हजार अट्ठारह में चूरू के राजगढ़ में कोर्ट पेशी पर आए बदमाश अजय जैतपुरा की भी पुलिस की मौजूदगी में कोर्ट रूम में हत्या कर दी गई थी. वहीं पिछले साल सितंबर में नागौर में हुए वाकये का भी जिक्र आता है, जब कोर्ट में हरियाणा के नामी बदमाश और हिस्ट्रीशीटर संदीप सेठी को पुलिसकर्मी ले जा रहे थे. इसी दौरान भरी भीड़ में संदीप की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद इसी साल 5 जनवरी 2023 को बहरोड उप जिला अस्पताल में हिस्ट्रीशीटर कुख्यात बदमाश विक्रम गुर्जर और लादेन पर भी विरोधी गैंग ने हमला कर दिया. बहरोड़ पुलिस लादेन को जयपुर जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लेकर मेडिकल मुआयने के लिए अस्पताल पहुंची थी, जहां घात लगाकर बैठे बदमाशों ने लादेन पर 2 राउंड फायरिंग की. हालांकि इस वारदात में डॉक्टर के रूम में छुप जाने के कारण लादेन की जान बच गई थी.

सक्रिय हुई राजस्थान पुलिस :बुधवार को भरतपुर में हुए हत्याकांड के मामले में राजस्थान पुलिस की ऑफिशियल अकाउंट से ट्विटर पर जानकारी दी गई. इस दौरान बताया गया कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने फायरिंग की घटना में लिप्त सभी बदमाशों को जल्द से जल्द पकड़ने के निर्देश दिए हैं. वही है कि न्यूज़ एजेंसी को डीजीपी मिश्रा ने बताया कि हम रिपोर्ट लेंगे की क्या इस घटना को टाला जा सकता था या नहीं. अभी कुल कितने अपराधी हैं वह बताना मुश्किल है। पर पुलिस कार्रवाई में घटना में लिप्त 4 अपराधी पकड़े गए हैं।

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