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डॉक्टर प्रभात सिंघल की हर पुस्तक में हाड़ौती के इतिहास, कला, पुरातत्व महत्व , संस्क्रति का जुड़ाव रहता है,पंकज मेहता,

डॉक्टर प्रभात सिंघल की हर पुस्तक में हाड़ौती के इतिहास, कला, पुरातत्व महत्व , संस्क्रति का जुड़ाव रहता है, पंकज मेहता।
आईरा समाचार अख्तर खान अकेला कोटा,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , राष्ट्रिय , अंतर्राष्ट्रीय ,, मुद्दों पर तो लिखते ही रहे हैं , लेकिन कोटा हाड़ोती के ऐतिहासिक महत्व , पुरात्तत्व महत्व सहित , कला , संस्कृति , पर्यटन , कृषि , उत्पाद ,के हर विषय पर, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का लेखन , अनवरत जारी है , और इनकी हर पुस्तक में , प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए ,एक अलग से , हैंडबुक शोध ग्रंथ होता है , जो , बहुउपयोगी सामग्री होती हैं , , उक्त उद्गार प्रकट करते हुए , राजस्थान सरकार खादी ग्रामोद्योग के उपाध्यक्ष पकंज मेहता ने, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,,सहलेखक उमराव सिंह जी द्वारा लिखित पुस्तक ,, हाड़ोती पुरातत्व एक अध्ययन , का विमोचन करते हुए , पंकज मेहता ने , कहा के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , राजस्थान की पूरा सम्पद्दा ,, संस्कृति , लोक कला , साहित्य को संरक्षित , विकसित , करने के लिए हमेशा चिन्त्तित हैं , वोह इस मामले में अलग अलग , बोर्ड गठित कर चुके हैं , जबकि हाड़ोती की पुरातत्व महत्व की सम्पदा को विकसित करने के लिए चाहे , कोटा की सम्पत्ति हो , चाहे , झालावाड़ का रैनबसेरा हो , चाहे , गागरोन का क़िला हो , बूंदी सहित राजस्थान की धरोहर हो , उसे विकसित और संरक्षित , सोंदर्यकृत करने के लिए अतिरिक्त बजट स्वीकृत कर ,वोह इन्हे संरक्षित ,के प्रयासों में लगे हैं , पंकज मेहता ने कहा , के डॉक्टर सिंघल की इस पुस्तक में हाड़ोती के सभी संग्रहालय ,, संस्कृति , भाषा , लोकसंस्कृति , वेशभूषा , पुरातत्व भवनों का संक्षिप्त विवरण चित्रों सहित हैं , जो हाड़ोती के पर्यटन महत्व को , राष्ट्रिय अंतर्राष्टीर्य स्तर पर उजागर करता है , डॉक्टर सिंघल को , बधाई देते हुए पंकज मेहता ने कहा के लगभग चार दशकों से , हाड़ोती उत्स्व के रूप में , मेले , दशहरे , स्थानीय संस्कृति कार्य्रकम के रूप में , में लगातार डॉक्टर सिंघल के साथ मिलकर काम करता रहा हूँ , और इनका लेखन , इनकी हर पुस्तक , मुझ सहित सभी लोगों के लिए एक हैंडबुक मार्गदर्शन होता है , कार्यकम की अध्यक्षता करते हुए , मंडल पुस्तकालयाध्यक्ष डॉक्टर दीपक श्रीवास्तव ने कहा ,, के डॉक्टर प्रभात कुमार सिंहल की यह पुस्तक , पुरातत्व महत्व पर अनोखी , अनूठी पुस्तक है , जिसे पुस्तकालयों के माध्यम से भी रीडर्स के लिए उपयोगी , ज्ञानवर्धक बनाने के प्रयास हैं , उन्होंने कहा , के ऐसी पुस्तकों को , डिजिलटल करना ज़रूरी है , जबकि आधुनिक तकनीक के माध्यम से हर मंच पर , ऐसी ज्ञानवर्धक पुस्तकों का प्रकाशन कर प्रोत्साहित करना ज़रूरी हो गया है , कार्य्रकम के विशिष्ठ अतिथि पद पर बोलते हुए , ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के महासचिव एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कहा के , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , कभी भी सेवाओं से निवृत नहीं हुए , हैं क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो सेवा के उद्देश्य से लेखन करता है , वोह निर्वत्त नहीं होता , इसीलिए , हज़ारों लेख लिखने, दर्जनों पुस्तकों के लेखन ,अख़बारों के सम्पादन के बावजूद भी , रोज़ लिखने की इन्हे अंतर्रात्मा से प्रेरणा मिलती है , और हर विषय पर डॉक्टर सिंघल रोज़ लिखते हैं , लिखते रहते हैं , हर महीने , में इनकी कढ़ी महनत, साधना का ही नतीजा है , के किसी भी नए विषय पर इनकी सारगर्भित पुस्तक तय्यार मिलती हैं , कार्यक्रम में बोलते हुए , वरिष्ठ साहित्यकार जितेंदर निर्मोही ने कहा, के डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का लेखन , इनका सृजन ,, साहित्य की तरह सृजित है , यह लिखते है तो इनके लेखन में ज्ञान कर वर्धन होता है , एक दर्शन होता है , तत्थ्य होते हैं , ऐतिहासिक महत्व होता है , पुरात्तत्व महत्व होता है , जितेंदर निर्मोही ने कहा के हाल ही में इन्होने मेरे बारे में संक्षिप्त लिखा जिसे राजस्थानी भाषा साहित्यकारों के शीर्ष लोगों ने बेहतर तरीके से सराहते हुए , ऐसे लेखन की प्रशंसा की , में धन्य हो गया , ,कार्यक्रम में बोलते हुए लेखक डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने कहा के मेरी लेखन शैली में कोई त्रुटि हो सकती है , लेकिन मेरा प्रयास होता है , के में हर विषय पर सारगर्भित लेखन करूँ और यह आप सभी साथियों के सहयोग के बगैर मुमकिन नहीं , उन्होंने , सह लेखक , उमराव सिंह जी की प्रशंसा करते हुए कहा के , उनके सहयोग से ही में इस विषय पर इतना कुछ लिख सकता हूँ , सह लेखक , उमराव सिंह जी ने कहा के , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का लेखन कार्य प्रशंसनीय है , उन्होंने ज़रा भी सहयोग करने वालों का धन्यवाद अपने अलग अंदाज़ में उन्हें पुरस्कृत हुए किया है , और इस पुस्तक में भी मेरे साथ भी डॉक्टर सिंघल ने , यही करते हुए , मुझे सह लेखक बनाकर पुरस्कृत किया है , कार्य्रकम में , चिल्ड्रन वेलफेयर सोसायटी के सदस्य अरुण भार्गव ने , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की लिखित हर पुस्तक हर लेख में , हाड़ोती को प्रमुखता से मुखर करते हुए , लिखने के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा , के हम जहा भी जाते हैं , इनके लेखन पर चर्चा ज़रूर होती हैं , पर्यटन अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने , कहा के , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , पर्यटन सहित हर विषय पर सारगर्भित लेखन करते हैं , उसे प्रकाशित करवाते है , एक ज्ञावर्धक हैंडबुक ऐसी तय्यार कर देते हैं जिससे पर्यटकों के लिए एक मार्गदर्शक लेखन हो जाता है , इतिहासविद फ़िरोज़ अहमद ने इस अवसर पर कहा के , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , ऐतिहासिक विषय हो , पुरातत्व विषय हो , वर्तमान में नामचीन शख्सियतें हों , विरासत को बचाने , उन्हें लोगों तक पहुंचाने के लिए , सार्थक , सकारात्मक प्रयासों में जुटे हैं , उनके इस कृत्य के लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम हैं , कार्य्रकम में बोलते हे ,, सेवानिवृत जनसम्पर्क अधिकारी , घनश्याम वर्मा ने कहा , के डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल हम सब साथ काम करते रहे हैं , और एक परिवार के नाते , हमें उनसे , उनके लेखन से , बहुत कुछ सीखने समझने को मिलता है , और उनकी लगातार लिखने की क्षमता को देखकर हमे भी प्रेरणा मिलती है कार्यक्रम में ,पत्रकार के डी अब्बासी , न्याज़ मोहम्मद , सिक्कों के संग्रहणकर्ता विशेषज्ञ , एडवोकेट शैलेश शर्मा, पत्रकार अखिलेश बेगरी , सहितत्यकार हेमंत पाराशर , वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर विजय जोशी, प्रसिद्ध फोटिग्राफर अब्दुल हफ़ीज़ ज़ेदी, रणदीप सोलंकी सहित शहर के गणमान्य , साहित्यकार, प्रबुद्ध लोग मौजूद रहे,,सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल एवं उनके अधीक्षक संभागीय संग्रहालय और पुरातत्व विभाग, कोटा उमराव सिंह ने संयुक्त रूप से लिखी हैं। पुस्तक की भूमिका विद्वान इतिहासविद डॉ. बृज किशोर शर्मा द्वारा लिखी गई है। श्रीमती शमा फिरोज ने विरासत पर अपनी गजल प्रस्तुत की। जनसंपर्क के पूर्व सहायक निदेशक धनश्याम वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।पुस्तक में हाड़ौती के कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिलों के पुरातत्व स्थलों के साथ-साथ सभी राजकीय और राव माधोसिंह संग्रहालयों को शामिल किया गया है। अन्य पर्यटन स्थलों और हेरिटेज संरक्षण कार्यों को भी को भी शामिल किया गया है। हाड़ोती में।राज्य सरकार के 60 स्थल पुरातत्व स्थल तथा भारत सरकार के संरक्षण पुरात्तव विभाग के 8 से 10 स्थल संरक्षित हैं। इन सभी स्थलों की जानकारी को एक जगह पर इस पुस्तक के माध्यम से संकलित किया गया है

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