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बीकानेर में जल इमरजेंसी के हालातों ने बढाई प्रशासन की टेंशन

बीकानेर। नहरबंदी बढऩे के साथ ही बीकानेर में  इमरजेंसी के हालात पैदा होने से प्रशासन की टेंशन बढ़ गई है। इसके चलते बीते दो दिनों से प्रशासन और जलदाय विभाग के अफसर हालातों से निपटने की रणनीति बनाने में जुटे हुए है। इधर  सरहिंद फीडर के समीप टूटी नहर के पच्चीस मई तक ठीक होने के आसार है । अगर नहर ठीक होने में थोड़ा ज्यादा समय लगा तो हालात ज्यादा मुश्किल हो जायेगें । क्योंकि बीछवाल और शोभासर जलाशयों में महज तीन दिन का ही पानी है। इससे जिला प्रशासन और जलदाय विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ चुकी है। वे नए सिरे से जलापूर्ति की व्यवस्था में जुटे है। एक के बाद एक कर मीटिंगों का दौर शुरू हो चुका है। जानकारी में रहे कि बीकानेर शहर की जलापूर्ति का मुख्य स्रोत इन्दिरा गांधी नहर है । नहर की मरम्मत और साफ सफाई के लिये इस बार दो महिने की नहरबंदी की गई थी। जिसकी मियाद 19 मई तक निर्धारित की गई लेकिन लेकिन सरहिन्द फिडर के पास मुख्य नहर टूट जाने के कारण अब इस नहर का पानी तीस मई के बाद ही मिलने की संभावना है। यदि किसी कारण से सरहिंद फीडर के समीप टूटी नहर की मरम्मत में विलम्ब हो गया तो सारे समीकरण गड़बड़ा जाएंगे। इन हालातों से निपटने के लिये अब तीन दिन में एक बार पेयजल सप्लाई का बंदोबश्त किया गया है। इसके बावजूद पानी के हालात इतने विकट हो गए हैं कि दोनों जलाशयों से एक दिन छोडक़र पानी सप्लाई करें तो भी तीन दिन का ही पानी रह गया है । ऐसे में हालात ज्यादा विकट होने की आंशका को देखते हुए प्रशासन और जलदाय विभाग के अधिकारियों ने अब नई रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। इधर पानी की किल्लत के कारण लोग सडक़ों पर उतरना शुरू हो गये है। इसके चलते शनिवार सुबह पुलिस लाईन इलाके में पानी की किल्लत से आहत लोग सडक़ों पर उतर आये और जाम लगाकर मटकिया फोडऩी शुरू कर दी। इसकी सूचना मिलने के बाद मौके पर पुलिस ने आक्रोशित लोगों को समझाइस कर जाम हटवाया। प्रदर्शन के दौरान लोगों ने शासन प्रशासन और जलदाय अफसरों के खिलाफ जमकर नारे लगाये। इधर शहर के शीतल गेट इलाके में भी शनिवार की सुबह पानी के लिये लोगों की भीड़ सडक़ पर उमड़ पड़ी।

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