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किश्मीदेसर का धरना सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधयों आईना है, मंत्री अर्जुन राम के पुश्तैनी गांव की हालत खराब कीचड़ घरो में घुस चुका है,गोविंद राम भी धरने पर बैठे,

किश्मीदेसर का धरना सरकार, प्रशासन और जनप्रतिनिधयों आईना –

आईरा समाचार हेम शर्मा बीकानेर । किश्मीदेसर नगरीय क्षेत्र केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का पुश्तैनी गांव रहा है। अब भी वहां उनके कुटुम्ब के लोग रहते हैं। इस मेघवाल मोहल्ले के पुरुष व महिलाएं  नेशनल हाईवे  89 नोखा रोड पर धरने पर बैठे हैं। बात वाजिब है कि उनके आवासीय इलाके से जल निकास की व्यवस्था अवरुध्द कर दी गई। वर्षा जलभराव से लोगों के घरों में पानी भर गया था। इसके निकासी स्थल पर कब्जा कर लिया गया है। निकासी नाला और पुलिया टूट गया। प्रशासन, निगम या न्यास को तत्काल समस्या का समाधान करना चाहिए था। प्रशासन की अनदेखी पर पार्षद नन्दू गहलोत, विधायक सिध्दी कुमारी, सासंद अर्जुन राम मेघवाल और सत्तारूढ पार्टी नेताओं को संज्ञान लेना चाहिए था। क्यों नहीं लिया यह गंभीर सवाल है। क्या इसके पीछे कोई रहस्य है कि नेता किस तरह अपने हितों के  खातिर जनहित को ताक पर रख देते हैं। यह रहस्य इस धरने के चलते जगजाहिर हो गया है। अगर कोई जानना चाहे तो धरना स्थल पर बैठे लोग बता देंगे कि वर्षा जलभराव स्थल नथू नाडिया कहां गया। पानी भराव वाले जगह किसके सपोर्ट से किस कोलोनाइजर का फायदा पहुंचाने को सड़क बनाई। जमीन पर किसका कब्जा है और कौन बचा रहा है। ऊंचे पदों पर बैठे सफेद पोश नेता क्या ऐसा कर सकते हैं। यह तो सच को पुख्ता करने और तथ्यों का  विश्लेषण करने से ही पता चलेगा।    
 संभागीय आयुक्त और पुलिस महानिदेशक ने 16 अगस्त को यहां जलभराव से उत्पन्न संकट, लोगों के घरों में पानी भरने और पुलिया टूटने का निरीक्षण किया और जिला कलक्टर को कार्यवाही के निर्देश दिए। कलक्टर ने कमेटी बनाकर तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। कमेटी मौका मुआयना कर आई है। पीडित लोगों का धरना बदस्तूर जारी है। धरनास्थल पर बैठे अर्जुन राम मेघवाल के  गांव के लोग और उनके भाई बन्धु अर्जुन राम को कोसते रहे हैं। एक केन्द्रीय मंत्री की अपने परिजनों और गांव के  लोगों के बीच इस तरह निन्दा होना कई सवाल खड़े करती है।धरनार्थी लोगों का कहना है कि दुर्भाग्य की बात है कि आज तक अर्जुन राम जी बीकानेर में होते हुए भी मोहल्ले में आकर के अपने परिवार समाज के लोगों से नहीं मिले हैं। हमारे प्रतिनिधि भी है हमने उनको वोट दिए हैं। भले ही वे केन्द्र में मंत्री हो अपने प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्र की सुध लेना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। वे अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। इससे ग्रामीणों में  आक्रोश है वहां के अध्यक्ष मोहनलाल मेघवाल ने कहा कि हमारी समस्याएं दूर नहीं हुई। मुझे याद है कि जब पहली बार अर्जुन राम मेघवाल लोकसभा का चुनाव जीते थे तो किश्मीदेसर के लोग फूले नहीं समा रहे थे। वहां के वाशिंदे मेघवाल जाति के लोग ही नहीं माली, ब्राह्मण और अन्य जाति के लोग गर्व से कहते थे कि सांसद हमारे गांव का है। आज स्थिति दूसरी है। पूरे गांव में अर्जुन राम की कितनी लोकप्रियता है कोई भी वहां के लोगों से बातचीत कर सहज रूप से जान सकता है। पार्षद नन्दू गहलोत ने सारी स्थिति कमेटी के अधिकारियों को तथ्यों के साथ बताई। वहां बैठे लोगों का कहना है कि अर्जुन राम मेघवाल का असली चेहरा प्रधानमंत्री के पीछे वाला नहीं है। यह तो भाजपा संगठन के बूते आरक्षण में मिला उपहार है। वास्तविक चेहरा किश्मीदेसर गांव के आईने में झलकता है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने धरना स्थल संबोधित करते हुए कहा कि अर्जुन राम के लिए बड़ी शर्म की बात है की किश्मीदेसर गांव नरक बन चुका है शहर की गन्दगी घरों में जा रही है। धरने पर अध्यक्ष मोहन लाल मेघवाल, लालचंद मेघवाल एडवोकेट, नंदू गहलोत पार्षद, चैनाराम जनागल, रामलाल गर्ग, फुशाराम गर्ग, नथमल चदल घनश्याम दावा नरेंद्र जनागल शांतिलाल जनागल मोडाराम जनागल कालूराम जनागल हनुमान गर्ग नरसिंह गर्ग प्रेमचंद जनागल सहित बहुत और भारी संख्या में महिलाएं भी इस धरने में हिस्सा ले रही है।         धरना भले ही प्रतीकात्मक हो विधायक सिध्दी कुमारी, सांसद अर्जुन राम मेघवाल और प्रशासन पर नागिरकों की मूल जीने की समस्या के प्रति अनदेखी बड़ा सवाल है। यह नहीं है कि बात का असर नहीं होता जिम्मेदार लोगों का गैर जिम्मेदारी का  परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा

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