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बीकानेर जिले में बागी निर्दलीय व अन्य दलों की चहलकदमी से दोनों दल चिंतित, जीत की गणित बदलेगी

बागी निर्दलीय व अन्य दलों की चहलकदमी से दोनों दल चिंतित, जीत की गणित बदलेगी मधु आचार्य (आशावादी)बीकानेर

आईरा समाचार बीकानेर की सभी सातों सीटों पर चुनावी गणित इतना उलझ गया है कि भाजपा और कांग्रेस अभी तो डेमेज कंट्रोल के काम से ही नहीं उबर रही। जिले में श्रीडूंगरगढ़ को छोड़कर शेष 6 सीटों पर मुकाबले की स्थिति को साफ हो गई। भाजपा ने आज कोलायत व खाजूवाला के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिए। अब भाजपा के सभी सीटों पर उम्मीदवार तय हो गये मगर कांग्रेस को एक सीट पर उम्मीदवार घोषित करना बाकी है।बाकी 6 सीटों पर दोनों पार्टियों में अभी तक खींचतान है। बीकानेर पश्चिम में कांग्रेस के लिए अपने ही परेशानी खड़ी कर रहे हैं। बगावत करने वाले राजकुमार किराड़ू तो भाजपा में ही चले गये। अल्पसंख्यक नेता अब्दुल मजीद खोखर व गुलाम मुस्तफा कांग्रेस छोड़ चुके। उनका अगला कदम क्या होगा, ये कांग्रेस के लिए चिंता का सबब है। खोखर अब रालोपा से पश्चिम में उम्मीदवार बन गये है।
वहीं बीकानेर पूर्व में भाजपा अभी तक भी पूरी तरह राहत में नहीं है। टिकट का विरोध करने वाले सुरेंद्र सिंह तो भाजपा के साथ आ गये। मगर अब भी ये सवाल अनुत्तरित है कि बागी बने महावीर रांका क्या करेंगे। वहीं कांग्रेस के पार्षद भी बगावत करके पूर्व से रालोपा के उम्मीदवार बन गये हैं। लूणकरणसर में कांग्रेस को टिकट घोषित करते ही सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली बात का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल ने भी समर्थकों की सभा करके चुनाव लड़ने की बात कह दी है। कांग्रेस को ये सीधा नुकसान है।कोलायत को हॉट सीट माना जाता है। यहां दो भाटियों में मुकाबला होता है। इस बार फिर भाजपा ने कांग्रेस के भंवर सिंह भाटी के सामने देवीसिंह भाटी की पुत्र वधु पूनम कंवर को टिकट दिया है। यहां कांग्रेस का टिकट न मिलने से नाराज रेवंतराम पंवार को रालोपा ने खड़ा किया  है। एससी के यहां वोट भी ज्यादा है। कांग्रेस को यहां भी अपनों से ही परेशानी मिल रही है। नोखा में इस बार कांग्रेस व भाजपा में सीधा मुकाबला नहीं होगा, क्योंकि कन्हैयालाल झंवर निर्दलीय के रूप में सामने है। उनकी शक्ति का बड़ा नुकसान भाजपा को होगा, कांग्रेस को कम होगा। इसके अलावा अभी तो लूणकरणसर व श्रीडूंगरगढ़ में रालोपा, माकपा भी मैदान में आयेगी। दोनों राष्ट्रीय दलों को इससे परेशानी होना स्वाभाविक है। मधु आचार्य ‘ (आशावादी ),

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