मुसलमान क्यो कांग्रेस पार्टी का ही वोटर बनकर रह गया,ओर अपने वोट के बदले भागीदारी क्यो नही मांगता
आलेख एडवोकेट मोहब्बत अली, राजस्थान कांग्रेस पार्टी में मुसलमानों को कार्यकर्त्ता नहीं बल्कि कांग्रेस का स्थाई वोटर समझा जाता है।भाजपा के डर से मुसलमान किसी भी राजनैतिक दलों का स्थाई वोटर ना बने। सत्ता में भागीदारी की मांग मुस्लिम समाज को करनी ही होगी।
देश के जाने माने राजनीति के धुरंधर आधुनिक चाणक्य ने हाल ही में बिहार में एक जन सभा में मुस्लिम समाज को संबोधित करते हुए कहा है कि देश में मुस्लिम समाज के वोटों की कोई कीमत नहीं है ।जिसके लिए मुसलमान ख़ुद जिम्मेदार है।
देश के हर राज्य में यह धारणा बनती जा रही है कि मुसलमान किसी भी राजनैतिक पार्टी का भरोसेमंद साथी नहीं रहा है अक्सर जगह जगह देखा जा रहा है कि मुसलमान आधे दिन तक किसी को भी वोट कास्ट नहीं करता है और वोटों के ट्रेंड को देखता रहता है कि कौन सा प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के नेता को हरा रहा है और वोटों के रुझान को देख कर जो प्रत्याशी भाजपा के उम्मीदवार को हरा सकने की स्थिती में होता है,तब मुसलमान ऐसे उम्मीदवार को वोट डालता है।इसीलिए जीत जाने के बाद वह मुसलमानो को अपना कार्यकर्त्ता नहीं मानता है।
उसका यह मानना होता है कि मुसलमान कहां जा सकते हैं, उनको तो भाजपा के डर से वोट तो देना ही है। और इसीलिए मुस्लिम समाज के किसी नेता को सत्ता की भागीदारी में कहीं कोई जगह नहीं मिलती है।
मुसलमान अपने स्वाभिमान को ताक पर रखकर सिर्फ़ इन नेताओं के आगे पीछे मंडराता फिरता रहता है।
प्रशान्त किशोर ने शत प्रतिशत सही कहा है । राजस्थान में मुसलमानों ने कांग्रेस को सन 2018 में बहुतायत में और कहीं कहीं तो शत प्रतिशत वोट दिए, प्रदेश में सरकार मुस्लिम वोटों की वज़ह से बनी, लेकिन सत्ता में भागीदारी कैसी रही समूचा राजस्थान जानता है।
प्रारम्भ में एक सालेह मोहम्मद को मंत्री बना कर वक्फ और अल्पसंख्यक मामलात का झुनझुना पकड़ा दिया।
तीन साल बाद जाहिदा खान को राज्य मंत्री बनाया गया और उसे प्रिंटिंग प्रेस का महकमा देकर केवल नाम का मंत्री बना दिया गया , बिना फाइल के शिक्षा विभाग का प्रभार भी दिया गया।
देश में लगभग हर जगह मुसलमानों को भाजपा के आ जाने के आड़ में डराया जाता है ? यू पी में बसपा, और सामाजवादी पार्टी, बिहार और बंगाल में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।
पांच हजार करोड़ रुपए के सालाना टर्न ओवर के व्यापारी ए आई एम आई एम के सुप्रीमो असीदु दीन ओवेशी द्वारा भी कमोवेस इसी राजनीति से मुसलमानों के पास जाकर उनका ब्रेन वाश करने का प्रयास किया जाता है ? उनके साथ गया मुसलमान सिर्फ़ मज़हबी मुसलमान बन कर रह जाता है, सियासत में उसको कोई सम्मान नहीं मिल पाता है।
दो दिन पूर्व ही एक कांग्रेस के नेता जी किसी मुस्लिम बाहुल्य गांव में गए थे , चार साल से कभी क्षेत्र की सुध बुध नहीं ली ?
चर्चा आ रही है कि जब गांव के युवा पीढ़ी के मुसलमानों ने विरोध के तेवर दिखाए तो नेता जी ने पहलू ख़ान, अतीक अहमद और जुनैद के साथ की घटना को याद करने की बात कही।
लब्बो लबाब में यही कहना है कि मुसलमान भाजपा को हराने वाले को वोट देने की बात ना करे बल्कि जो मुसलमान को सत्ता में भागीदारी देने की बात करे, मुसलमान को भी उसी को वोट देने का वादा करना चाहिए ?
बीकानेर शहर में जो भी मुस्लिम नेता कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं, एक अर्से से उनको कांग्रेस के नेता केवल मात्र मुस्लिम वोटर समझ कर ही चल रहें हैं। वे जानते हैं कि इनके सामने कहीं कोई विकल्प नहीं है इसलिए कहां जा सकते हैं ?
सन 1977 से 1993 तक राजस्थान में जनता पार्टी का अस्तित्व था, सी पी एम और सी पी आई भी राजनैतिक दल थे, उस समय मुसलमान भी कांग्रेस का कार्यकर्ता माना और समझा जाता था।
बीकानेर के कई मुस्लिम जनता दल के नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद और वी पी सिंह से बात करते थे, आज लोकल नेताओं से हाथ मिला कर भी धन्य हो जाते हैं ?
आज बीकानेर शहर के छोटे बड़े मुस्लिम नेता कांग्रेस के नेता नहीं समझे जाते हैं, बल्कि सिर्फ़ कांग्रेस के स्थाई वोटर माने जा रहे हैं ? और इस हकीकत को ज़िला प्रशासन भली भांति रूप से जानता है।
यही कारण है कि आज बीकानेर जिले में एक भी मुस्लिम नेता ऐसा नहीं है कि जिसके फोन को कोई पटवारी , कोई क्लर्क अथवा थाने में बैठा कोई सिपाही भी कोई तवज्जो देता हो।
इन बड़ी बड़ी मुस्लिम तोपों को छोटे से छोटे काम के लिए मंत्रियों या उनके परिवार के सदस्यों के पास जाना ही पड़ता है।यही सच्चाई है।
यदि मुसलमान एक्टिव पॉलिटिक्स की मुख्य धारा में आना चाहता है तो भाजपा के डर को भगाना होगा
सन 1977-1980 और 1990-1998 में प्रदेश में भैरों सिंह शेखावत मुख्य मंत्री रहे । 2003-2008 और 2013-2018 के समय वसुन्धरा राजे सिंधिया मुख्य मंत्री रहे, तब क्या मुस्लिम समाज को तंग या परेशान किया गया ? वसुन्धरा राजे सिंधिया के दोनों टेन्योर में यूनस ख़ान क्यामखानी मंत्री थे ? क्या वे भाजपा राज में पावरफुल मंत्री नहीं रहे।
मुस्लिम समाज को सियासत की बारिकी को समझना होगा मुसलमान किसी भी राजनैतिक दल का कार्यकर्त्ता बनें, लेकिन स्थाई वोटर ना बने।फकत बीकानेर की आवाज़।