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भारतीयWhatsApp Groupon mein फर्जी वीडियो तुर्की का बताकर शेयर किया जा रह।

फर्जी वीडियो तुर्की का बताकर शेयर किया जा रहा है।सीरिया के नरसंहार का वीडियो तुर्की में ठेकेदारों की हत्या का बताकर फ़र्ज़ी दावे से वायरल।

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो अप्रैल 2013 में राष्ट्रपति बशर-अल-असद के सैन्यकर्मियों द्वारा सीरिया की राजधानी दमिश्क में नागरिकों की सामूहिक हत्या का है.

सीरिया के नरसंहार का वीडियो तुर्की में ठेकेदारों की हत्या का बताकर फ़र्ज़ी दावे से वायरल
राष्ट्रपति बशर-अल-असद के प्रति वफादार सीरियाई सशस्त्र बलों द्वारा 2013 में नागरिकों की सामूहिक हत्या का एक वीभत्स वीडियो, इस झूठे दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि यह तुर्की के सैनिकों को घटिया निर्माण कार्य के लिए ठेकेदारों को मारते हुए दिखाता है. इस साल तुर्की में आये भूकंप में भयंकर विनाश हुआ जिसका प्रभाव वहां बनी कमजोर इमारतों के कारण और बढ़ा गया.

तुर्की में इमारतें बनाने वाले ठेकेदार सरकार की जांच में दायरे में है और उनपर आरोप हैं कि उनके घटिया निर्माण कार्य के कारण देशभर में हज़ारों इमारतें धराशायी हो गयीं.

इसने 23 फ़रवरी 2023 को तुर्की और सीरिया में आये भूकंप की तबाही को और बढ़ा दिया जिस कारण 50 हजार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें.

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो तुर्की से सम्बंधित नहीं है, लेकिन सीरिया के दमिश्क में अप्रैल 2013 में राष्ट्रपति असद के समर्थक सुरक्षा बलों द्वारा किए गए एक युद्ध अपराध को दिखाता है जिसे सैनिकों ने खुद रिकॉर्ड किया था.

4 मिनट 35 सेकंड लंबी इस क्लिप में सैनिकों को सैन्य वर्दी में देखा जा सकता है. एक व्यक्ति जिसकी आंखों पर पट्टी और उसके हाथ पीठ के पीछे प्लास्टिक की रस्सी से बंधे हुए हैं, को एक बड़े गड्ढे की ओर ले जाते देख सकते हैं जिसमें अन्य पीड़ितों के शव और टायर भरे. एक-एक करके लोगों को गड्ढे के पास ले ले जाकर उन्हें गड्ढे के अंदर धकेल दिया जाता है और सीरियाई सैनिकों द्वारा करीब से गोली मार दी जाती है. इस पूरी घटनाक्रम का वीडियो रिकॉर्ड किया गया और यहां तक ​​कि एक सैनिक को कैमरे से बात करते हुए भी दिखाया गया है।

बूम ने दिल दहलाने वाले वीडियो फुटेज को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया है।

क्लिप को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा कि, “तुर्की के सैनिकों ने उन कंस्ट्रक्शन ठेकेदारों को गोली मार दी जिनके घटिया काम ने हजारों निर्दोष लोगों को मार डाला।भूकंप को अवशोषित करने के लिए उन्हें भूकंपीय डैम्पर्स के लिए भुगतान किया था लेकिन उन्होंने ऊंची इमारतों की नींव के नीचे कार के टायर गाड़ दिए. क्या भारत में ऐसा संभव है ?”
*वीडियो को व्हाट्सएप* और फेसबुक पर समान झूठे दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। हमें यह हमारे व्हाट्सएप ग्रुपो पर शेयर किया जा रहा है।.

*फ़ैक्ट चेक*
*बूम ने पाया कि वायरल वीडियो का तुर्की या इस साल फरवरी में वहां आए भूकंप से कोई संबंध नहीं है.*

वीडियो में सीरिया की राजधानी दमिश्क के दक्षिणी हिस्से में तदामन-एक उपनगर के पास में राष्ट्रपति असद समर्थक सैन्य कर्मियों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों को दिखाया गया है. 16 अप्रैल, 2013 को की गयी सामूहिक हत्या के इस वीडियो का सच 2022 में सामने आया जब 2019 में शोधकर्ताओं के पास लीक होकर इस तरह के कई वीडियो पहुंचे थे.

*ये वीडियो सैन्य खुफिया* निदेशालय की शाखा 227 से संबंधित सीरियाई सशस्त्र बलों के सैनिकों को बड़े पैमाने पर हत्या करते हुए दिखाते हैं.फुटेज में दिख रहा है कि सैनिक दिन के उजाले में घिनौने युद्ध अपराधों को अंजाम देते हुए खुश हो रहे हैं.

*न्यूज आउटलेट्स न्यू* लाइन्स*मैगज़ीन और गार्जियन का कहना है कि वायरल वीडियो में रिकॉर्ड की गई इस घटना में 41 नागरिक मारे गए थे. हालांकि, न्यू लाइन्स का अनुमान है कि मरने वालों की संख्या लगभग 288 थी. सीरियाई सैनिक नागरिकों को शहर से दूर पहले से खोदी गई सामूहिक कब्रों के इलाकों में ले गए और उन्हें मार डाला.
*वीडियो* में दिख रहे घटनाक्रम से सम्बंधित कीवर्ड्स का उपयोग करने पर हमें अमेरिकी पत्रिका न्यू लाइन्स मैगज़ीन का 27 अप्रैल, 2022 का एक लेख मिला जिसके बारे में कहा जाता है कि इसी मैगज़ीन ने वीडियो के बारे में सबसे पहले रिपोर्ट किया था. न्यू लाइन्स ने कहा कि उसने फुटेज की प्रामाणिकता की पुष्टि की है.

*रिपोर्ट* की मुख्य तस्वीर उसी सैनिक को दिखाती है जो वायरल वीडियो के पहले कुछ सेकंड में दिखाई देता है और जिसकी पहचान अमजद यूसुफ के रूप में की गई है. न्यू लाइन्स के अनुसार, वीडियो में देखा गया अन्य अपराधी, जो खुद पर कैमरा घुमाता है, उसकी पहचान अब मृतक नजीब अल-हलाबी उर्फ ​​​​अबू विलियम के रूप में हुई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि सामूहिक हत्या के ये वीडियो 2019 में लेखक अंसार शाहौद और उगुर उमित उंगोर को लीक किए गए थे, जिन्होंने फुटेज की जांच की और 2022 में इनकी सच्चाई सामने लाये.
न्यू लाइन्स ने बताया, “तीन अलग-अलग वीडियो में, जिनमें से प्रत्येक लगभग सात मिनट का है, ये दो व्यक्ति दिन के उजाले में खुद को दिखाते हुए 41 नागरिकों को मौत के घाट उतारते हैं. फिर वे शवों को जलाने के लिए कार के टायरों से तैयार पहले से खोदे गए गड्ढे में फेंक देते हैं.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो के लंबे संस्करण में सैनिकों को उन टायरों का उपयोग कर पीड़ितों के शरीर जलाते हुए दिखाया गया है जो पहले से ही गड्डों में रखे गए थे.
हमें 27 अप्रैल, 2022 को द गार्जियन के एक लेख में इसी वीडियो के कुछ हिस्से भी देखने को मिले.

द गार्जियन के मार्टिन चुलोव ने इसे “पूरे सीरियाई संघर्ष के सबसे वीभत्स वीडियो में से एक कहा जो हमें 10 साल के युद्ध के अनकहे हिस्से की एक झलक देता है.”

सीरिया में एक दशक से अधिक लंबा गृह युद्ध मार्च 2011 में व्यापक ‘अरब स्प्रिंग’ आंदोलन के तहत राष्ट्रपति बशर-अल-असद के शासन के खिलाफ असंतोष से उपजा था.

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