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ज्ञानवापी मस्जिद,मामले में कार्बन डेटिंग से हो सकती है शिवलिंग को क्षति, इसलिए अनुमति नहीं जज,हिन्दू याचिका खारिज,,

आईरा वार्ता समाचार,ज्ञानवापी मामले में कार्बन डेटिंग से हो सकती है शिवलिंग को क्षति, इसलिए अनुमति नहीं जज।

वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद केस में जिला अदालत में शुक्रवार को अहम सुनवाई हुई। जिला जज के सामने सवाल था कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद में मिली शिवलिंग नुमा आकृति की कार्बन डेटिंग होना चाहिए? अदालत ने इससे इन्कार कर दिया है मतलब कार्बन डेटिंग की हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई है। जिला जज ने अपने इस फैसले के पीछे की वजह सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताया। सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग वाले स्थान को सील करने का आदेश दिया है। जिला जज ने यह भी कहा कि इस जांच से शिवलिंग को क्षति पहुंच सकती थी और लोगों की आस्थाओं को ठेंस पहुंच सकता था, इसलिए अनुमति नहीं दी गई।

हिंदू पक्ष ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद में मिला शिवलिंग कितना प्राचीन है। जिला जज एके विश्वेश ने फैसला सुनाया। कोर्ट रूप में दोनों पक्षों के लोग सीमित संख्या में मौजूद रहे। कुछ लोगों का कहना है कि कार्बन डेटिंग के लिए शिवलिंग का कुछ हिस्सा लिया जाना था और इससे शिवलिंग खंडित हो सकता है। यही कारण है कि पांच हिंदू याचिकाकर्ताओं में से एक ने कार्बन डेटिंग का विरोध किया था।

फैसले का मुस्लिम पक्ष ने स्वागत किया, वहीं हिंदू पक्ष का कहना है कि कार्बन डेटिंग नहीं तो कोई और वैज्ञानिक तरीका खोजा जाना चाहिए। वहीं कुछ हिंदू कह रहे हैं कि कार्बन डेटिंग के लिए शिवलिंग का हिस्सा नहीं लिया जा सकता, क्योंकि शिवलिंग तो आदिविश्वेश्वर है।

पांच हिंदू याचिकाकर्ताओं में से चार ने वाराणसी की स्थानीय अदालत के समक्ष शिवलिंग नुमा आकृति की कार्बन-डेटिंग की मांग की थी। कोर्ट के आदेश पर किए गए वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर यह आकृति मिली थी। हिंदू पक्ष ने शिवलिंग मान रहा है।

क्या होती है कार्बन डेटिंग इससे क्या साबित होता है

कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर पुरातत्व में किसी वस्तु की उम्र को समझने के लिए किया जाता है। ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने कार्बन डेटिंग की याचिका का विरोध किया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की याचिका स्वीकार कर ली थी। हिंदू पक्ष ने इसे भी अपनी जीत बताया था।

वाराणसी की अदालत ने मामले के संबंध में पहले मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनी थीं। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु जैन ने तब कहा था, ‘मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि शिवलिंग सूट संपत्ति का हिस्सा नहीं है और इसकी कार्बन डेटिंग नहीं की जा सकती है। हमने इनदो नोंबिंदुओं परअपना स्पष्टीकरण दिया है। फैसला अदालत करेगी।’ इस अहम सुनवाई से पहले आरएसएस से जुड़े इंद्रेश कुमार की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने कहा कि देर से ही सही लेकिन सत्य सामने आएगा। इंद्रेश  को पता हैै फैसला हमारे हक में ही आना है,एक दो बार तो ऐसे झटके दिए जाएंगे फिर अचानक फैसला दे दियाा जाएगा उनके हक मेंजैसे बाबरी मस्जिद सहित हिजाब आदि का आया उसी तरह यह भी आएगा।

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