अरुणाचल प्रदेश की तवांग तीर्थयात्रा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक।
आईरा वार्ता समाचार, अरुणाचल प्रदेश की तवांग तीर्थयात्रा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और भारत तिब्बत सहयोग मंच के मार्गदर्शक माननीय श्री इंद्रेश कुमार जी के स्नेहिल सानिध्य में,और मंच के राष्ट्रीय महामंत्री श्री पंकज गोयल के नेतृत्व मे भारत के अंतिम जिले अरुणाचल प्रदेश के तवांग में जहां सूर्य की पहली किरण पड़ती है वहां के लिए तवांग तीर्थयात्रा 18 नवम्बर 2022 से गुवाहाटी प्रारंभ होकर 24 नवंबर 2022 को गुवाहाटी में ही पूर्ण होगी।तवांग तीर्थ यात्रा की राजस्थान और गुजरात क्षेत्र की सह संयोजिका श्रीमती सुधा आचार्य ने बताया कि दिनांक 18 नवंबर को देशभर से पधारे हुए समस्त यात्रीगण सर्वप्रथम गुवाहाटी स्थित शक्तिपीठ माता कामाख्या देवी के दर्शन करेंगे और यहीं से अरुणाचल प्रदेश हेतु प्रस्थान करेंगे। इस यात्रा में यात्रीगण मुख्य रूप से मां कामाख्या देवी के दर्शन के साथ-साथ ब्रह्मपुत्र नद के टापू पर विश्व के एकमात्र शिव मंदिर,भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध जी के अग्नि गढ़ मंदिर,अरुणाचल का प्रवेश द्वार भालूकपोंग,पश्चिम कामेंग जिला मुख्यालय “बोमडिला” जिस पर 1962 के युद्ध में चीन ने कब्जा कर लिया था, 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध के दौरान चीनी सेना को 72 घंटे तक अकेले मात देने वाले वीर सैनिक जसवंतसिंह की स्मृति में बना जसवंतगढ़, भारत चीन युद्ध में शहीदों का स्मृति में बना शहीद स्मारक, तिब्बत के छठे दलाई लामा जी की जन्म स्थल तवांग में बना हुआ विशाल तवांग मठ,दलाई लामा जी के पद चिन्ह, गुरु नानक देव जी की तपस्या स्थली पर बना नानक लामा, 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान गिनती के सैनिक,सीमित गोला-बारूद ,और बिना राशन के चीनी सेना से मुकाबला करते हुए शहीद होने वाले जोगिंदर बाबा का मंदिर, धरती पूजन स्थल सहित प्राकृतिक और नैसर्गिक सौंदर्य में स्थित अनेकानेक स्थानों के दर्शन सुलभ होंगे।भारत तिब्बत सहयोग मंच के बीकानेर इकाई के जिलाध्यक्ष श्री सुनील बांठिया ने बताया कि बुमला भारत का अंतिम छोर है, इसके आगे तिब्बत शुरू हो जाता है जिस पर अभी चीन का कब्जा है। तवांग तीर्थ यात्रा समिति द्वारा आयोजित तीर्थ यात्रा के दौरान भारत तिब्बत सीमा पर प्रतिवर्ष सभी तवांग तीर्थयात्री धरती पूजन करते हैं।तीर्थ यात्रा की बीकानेर की संयोजिका प्रोमिला गौतम ने बताया कि अन्य यात्राओं की भांति ही इस यात्रा का भी राष्ट्रीय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है सभी को अपने जीवन में कम से कम एक बार यह यात्रा अवश्य करनी चाहिए। इस यात्रा की और अधिक जानकारी हेतु भारत तिब्बत सहयोग मंच की तवांग यात्रा की, राजस्थान और गुजरात की सह संयोजिका श्रीमती सुधा आचार्य से 9460893878 पर संपर्क किया जा सकता है