Logo

बीकानेर अहंकार को मिटाकर अपनाए क्षमा भाव मुनि जितेंद्र कुमार

आईरा वार्ता समाचार बीकानेर।पर्वाधिराज पर्युषण का शिखर दिन संवत्सरी महापर्व बड़े ही हर्षोल्लास, आध्यात्मिक उमंग के साथ बुधवार को तेरापंथ भवन, गंगाशहर में मनाया गया। मुनि श्री शांतिकुमार जी एवं मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी के मंगल सान्निध्य में पूरे दिन आध्यात्मिक प्रवचनमाला का क्रम रहा। जिसमें संतों ने तीर्थंकर परंपरा, आगम युग के आचार्य, तेरापंथ आचार्य परंपरा, भगवान महावीर के पूर्व भव एवं संवत्सरी के महत्व को उजागर किया। प्रातः सर्वप्रथम सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री कीर्तिलता जी आदि साध्वीवृंद ने उद्बोधन प्रदान किया।मुनि श्री शांतिकुमार जी ने संवत्सरी परंपरा के बारे में बताते हुए कहा की वर्ष में एक बार आने वाला यह महान पर्व संवत्सरी आत्मा को निर्मल बनाने का पर्व है। इस दिन मन में किसी भी प्रकार का द्वेष भाव नहीं रखना चाहिए। संवत्सरी प्रतिक्रमण कर हम पूर्व कृत दोषों का प्रायश्चित करे, संसार के समस्त जीवों से क्षमायाचना करे।मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी ने 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जीवन चरित्र के बारे में वर्णन करते हुए कहा की भगवान महावीर क्षमा के परम उदाहरण कहे जा सकते है। भगवान महावीर ने साधना काल में मार्णांतिक कष्ट सहे किंतु किसी के भी प्रति उनके मन में द्वेष भाव नहीं आया। संवत्सरी का पावन दिन अंतर की गांठे खोलने का दिन है। किसी के प्रति वैर भाव हो तो उसे आज मिटा देना चाहिए। अहंकार को मिटाकर क्षमा को धारण करने वाला व्यक्ति महान होता है। यह पर्व धर्माराधना की दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी ने संवत्सरी गीत का संगान किया। मुनि अनुशासन कुमार जी ने आचार्यों के जीवन दर्शन की व्याख्या की। मुनि अनेकांत कुमार जी ने क्षमा पर प्रकाश डाला। सायं प्रतिक्रमण में हजारों की संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया एवं संवत्सरी प्रतिक्रमण किया।Sandeep Ranka 75682 33888

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.