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बीकानेर पर्यूषण का सातवां दिवस स्कूटियों पर आई तपस्वियों की सवारी तप का लिया सामूहिक संकल्प।

तपस्वियों का हुआ अभिनंदन, बुधवार से होगा बारसा सूत्र वांचन
आईरा वार्ता बीकानेर। उत्साह के साथ तप करना व आदर के साथ तपस्वियों का अभिनंदन करना यही सच्चे श्रावक की रीत है। मंगलवार सुबह करीब सवा सात बजे कोचरों के चौक से पंच मंदिर दर्शन करके सामूहिक तप पच्चखाण (तप संकल्प) के लिए करीब 60 तपस्वियों का हुजुम स्कूटियों पर निकला। हाथों में धर्म पताका व सिर पर साफा बांधे तपस्वी स्कूटियों पर सवार होकर पौषधशाला पहुंचे और वहां साध्वी सौम्यप्रभा से पच्चखाण लिया। श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्रीसंघ द्वारा रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में तपस्वियों का बहुमान किया गया। इससे पूर्व पंच मंदिर परिसर में संघ के अध्यक्ष रिखबचंद सिरोहिया द्वारा तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। संघ के मंत्री विजय कोचर, विजयचंद बांठिया, किशोर कोचर, सोहनलाल कोचर, शांतिलाल कोचर, पारस कोचर, महेन्द्र कोचर, राकेश कोचर ने तपस्वी भाइयों का तथा कुसुम बद्धाणी, रेखा जैन, विनिता सिरोहिया, सरोज कोचर ने तपस्वी बहिनों का बहुमान किया।  खास बात यह है कि ७ वर्ष से लेकर 75 वर्ष आयुवर्ग के श्रावक-श्राविकाएं तप में शामिल हैं। पर्यूषण महापर्व के सातवें दिवस साध्वी सौम्यदर्शना व साध्वी अक्षयदर्शना ने सातवें व आठवें व्याख्यान का वाचन किया। विमल कोचर ने साधर्मिक फंड का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। आज की संघपूजा व श्रीफल प्रभावना का लाभ जसकरण मोहनलाल कोचर द्वारा लिया गया। दोपहर में पौषधशाला में महिलाओं द्वारा साझी कार्यक्रम आयोजित किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाओं व बालिकाओं द्वारा भजनों आदि की प्रस्तुतियां दी गई। चातुर्मासिक आयोजन के मुख्य लाभार्थी सुरेन्द्र जैन बद्धाणी ने बताया कि जैन महासभा द्वारा 11 सितम्बर को ढढ्ढा कोटड़ी में तपस्वियों का अभिनन्दन किया जाएगा। यह बने लाभार्थी बुधवार को बारसा सूत्र का वाचन होगा जिसके लाभार्थी लाभचंद फतेहचंद कोचर परिवार बने हैं। इसी क्रम में चित्रदर्शन के ताराचंद निहालचंद डागा परिवार, मतिज्ञान पूजा, श्रुतज्ञान पूजा व केवल ज्ञान पूजा के मूलचंद पुष्पा देवी सुरेन्द्र जैन बद्धाणी परिवार, अवधि ज्ञान व मन:पर्यव ज्ञान के पूनमचंद नेमचंद बरडिय़ा परिवार लाभार्थी बने। 1 सितम्बर को तपस्वियों को सूरज भवन में पारणा करवाया जाएगा जिसका लाभ शांतिलाल सेठिया, सुरेन्द्र जैन बद्धाणी, लीलम सिपानी व विजयचंद बांठिया परिवार ने लिया है।

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