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बीकानेर रियासत कालीन कुओं को वापिस चालू करने की मांग समाजसेवी चौरू लाल सुथार द्वारा

आईरा,वार्ता,अख्तर,भाई,बीकानेर।,सामाजिक कार्यकर्ता  चौरू लाल सुथार,निवासी सोनगिरि वेल,बीकानेर ने एक प्रतिवेदन  मंत्री महोदय  बी.डी. कल्ला  को प्रेषित कर उसकी प्रति  अर्जुन राम  मेघवाल,केंद्रीय राज्य मंत्री व सुश्री सिद्धि कुमारी ,विधायक, संभागीय आयुक्त,बीकानेर  जिला कलेक्टर ,बीकानेर व अतिरिक्त मुख्य अभियंता जलदाय विभाग,बीकानेर व  अधीक्षण अभियनता,बीकानेर को प्रस्तुत कर अवगत कराया कि बीकानेर शहर में बने सभी रियासत कालीन कुओं को बंद कर दिया गया,कारण पूरे शहर को पानी की सप्लाई नहरी पानी से होने लगी इस कारण मात्र नहरी पानी के पर निर्भरता के चलते यह निर्णय लिया गया ,कभी पूरे शहर की प्यास बुजाने वाले कुओं पर आज ताले लगे हुए है व वहां सन्नाटा छाया हुआ है,कुओं पर लगी नाल,प्लेट्स फॉर्म्स,मोटरे, पाइप्स लाइन आदि आज लंबे समय से बंद पड़े रहने से खराब हो चुके है व लावारिस हालात में पड़े हुए है। चौरू लाल सुथार ने बताया कि जल जीवन है चाहे वह किसी भी स्त्रोत से मिले,उसे नजरअंदाज नही  करना चाहिए। केंद्र सरकार ने जल सरंक्षण हेतु अलग से ही मंत्रालय बनाया है । लेकिन पहले से ही निर्मित जल सरंक्षण के स्रोतों  जिनमे कुए,तालाब,बावड़ियों जो राजा महाराजाओं व दान दाताओं द्वारा बनवाई गई थी वैसी आज के सरकारों के बस की बात नही  है। सुथार ने बताया कि बीकानेर शहर में करीब 20 ओपन वेल है जिनमे:—
1)चौतीना कुवा,2)नया कुवा 3)जेलवेल(4)सोनगिरि वेल(5)चंदन सागर वेल(6)पंवारसर वेल(7)अलखसागर वेल(8)बख्तावर सागर वेल(9)फूलबाई वेल(10)जस्सोलाइ वेल-घेरू लाल(11)रघुनाथसर वेल (12)मोहता वेल-जससुसर गेट(13)डागा वेल(14)भीनासर व गया वशहर आदि करीब 20 प्राचीन कुए स्थित जो बंद पड़े है । सुथार ने कहा कि हम यह नहीं कहते कि नहरी पानी बंद करो बल्कि नहरी पानी के साथ साथ प्राचीन कुओं का भी समय रहते सर्वे करवाकर चालू करवाये ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या नहर के कहीं अचानक कटाव या क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में इन कुओं के पानी से शहर की प्यास बुजाई जा सके इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए,जब बीकानेर में पहले से जल का भंडारण है तो उसकी उपेक्षा क्यो की जा रही है,बड़ी ही विडंबना है ।
सुथार ने अवगत कराया कि सन 2020 में शहर में तीन नए ट्यूब वेल्स हेतु 88.21 लाख रुपये स्वकृत किये गए जिसमे (1)सोनगिरीवैल के लिए 16.58 लाख(3)रघुनाथसर वेल हेतु 16.58 लाख व(3)घेरुलाल वेल हेतु 16.58 लाख रुपये तथा भीनासर हेड वर्क्स और पम्पिंग हाउस के जोर्णोद्धार हेतु 9.27 लाख रुपये तथा साथ ही उक्त नल कुओ पर पाइप लाइन बिछाने,पावर कनेक्शन सहित अन्य कार्यो हेतु 16.67 लाख रुपये स्वीकृत किये गए।। केवल एक घेरू लाल वेल के पास एक नल कूप का निर्माण 22 फरवरी 2022 को शुरू कर कर दिया गया लेकिन वह चालू नहिं हुआ,व बाकी सोनगिरिवेल व रघुनाथसर वेल का तो कार्य भी आजतक शुरू नहीं हुआ । यह जलदाय विभाग के अधिकारियो की उदासीनता व कार्य न करवा पाने का ही नतीजा है जिसका खामियाजा आज बीकानेर की जनता भुगत रही है । काबीना मंत्री वो भी उस समय के जलदाय मंत्री के आदेशों के बावजूद कार्य नही  होना बड़े ही शर्म की बात है अब किससे शिकायत की जाए। चौरू लाल सुथार ने उक्त प्रतिवेदन की एक प्रति  देवी सिंह  भाटी,पूर्व सिंचाई मंत्री,राजस्थान सरकार को उनके द्वारा बीकानेर कलेक्टर कार्यालय के सामने आमरण अनशन पर बैठे हुए स्थल पर जाकर प्रस्तुत की जिस पर  देवी सिंह  भाटी साहिब ने प्रतिवेदन पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह मांग वाजिब व उक्ति संगत है तथा यह भी आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को सरकार व प्रशासन के समक्ष रखेंगे। सुथार ने देवी सिंह भाटी  का आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया। सुथार ने राजस्थान सरकार,यहां के जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन से आग्रह किया कि बीकानेर में सभी बंद पड़े कुओं का सर्वे करवा कर उनको चालू करें या उनके ही पास नए तुबेवेल्स बनाये तथा इन्ही ट्यूब वेल्स के ही पास जहां जगह की उपलब्धता हो ओवरहेड पानी के टैंक बनाकर उनको पूरे शहर की जल सप्लाई पाइप लाइन्स से जोड़ा जाकर नहरी पानी के साथ साथ पानी की सुचारू सप्लाई की व्यस्था की जाए। कारण नहर बंदी तो हर साल इस भयंकर गर्मी के दिनों में ही होनी है ऐसे मे प्राचीन कुओं के पानी से पानी की किल्लत व त्राहि त्राहि नहीं होगी व साथ ही सरकार व जिला प्रशासन को हो रही जबरदस्त परेशानी से भी राहत मिलेगी । ऐसा हमारा सोचना है बाकी तो सरकार व जिला प्रशासन को ही तय करना है ।

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