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बेजुबान की जान लेते है ये इंसान कहाँ है पशुक्रूरता निवारण सीमिति जूनागढ़ के आगे परचून के कट्टे और बोरियों से लदा ऊंट गाड़े की टूटीं ईस{ हाल} ऊंट हुवा घायल,

बेजुबान की जान लेते है ये इंसान कहाँ है पशुक्रूरता निवारण सीमिति जूनागढ़ के आगे परचून के कट्टे और बोरियों से लदा ऊंट गाड़े की  ईस  यानी लकड़ी से बनी हाल टूटने से ऊंट हुवा घायल । राहीगरो ने की मदद

आईरा समाचार अख्तर भाई  बीकानेर में पशुक्रूरता निवारण समिति के अस्तित्व में नहीं होने से आये दिन इन बेजुबानों के साथ अत्याचार हो रहा है । प्रशाशन की नाक के नीचे भरे बाजार से आये दिन क्षमता से अधिक माल लाद कर बेजुबान पशुओं के साथ अत्याचार हो रहा है और प्रशाशन मूक दर्शक बने है । यहाँ तक कि भरे बाजार में पुलिस भी तैनात रहती है । पर वो भी देख कर अनजान रहती है ।आज एक ऊँठ गाड़ा क्षमता से अधिक माल लाद कर जा रहा था तो जूनागढ़ के आगे भार ज्यादा होने से ऊँठ गाड़े की ईस टूट गईं । एक बारगी वहाँ जाम लग गया । ईस टूटने के बाद ऊँठ घायल हों गाया । वहाँ किसी ने फ़ोन कर के राजमाता सुशीला कुमारीं जी जीवदया सेवा समिति के रामदयाल राजपुरोहित को बुलाया । राजपुरोहित ने तुरंत घायल ऊँठ को वेटरनेरी के डॉक्टर को बुलाकर प्रार्थमिक उपचार करवाया और दवा दिलवाई । गाड़ा मालिक को भविष्य में अत्यधिक माल नहीं लादने के लिये पाबंद किया । पश्चात टेक्सी में माल गंतवये तक भिजवाया और रोड़ को जाम से मुक्त करवाया । राजपुरोहित ने बताया कि बेजुबान के जीवन की रक्षा के लिए प्रशाशन द्वारा पशुक्रूरता समिति बनी हुई है पर काफी वर्षो से अस्तित्व में ही नहीं है । इस वजह से गाड़े वाले ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर मे पशुओं पर अधिक भार लादकर उन पर अत्याचार करते है राजपुरोहित ने प्रशाशन से अपील भी की है कि पशुओं पर होने वाले अत्यदिक भार के अत्याचार को रोकें और पांच साल से ज्यादा उम्र के पशुओं को भार ढोने के लिये काम मे नहीं लेनें के लिए गाड़े वालों को पाबंद करें तथा समय समय पर गाड़े वालोँ की भार भरने की चेकिंग करें और उन्हें समझाया जाएं ताकि भविष्य में कोई पशुओं की जान की हानि नही हो

 

बीकानेर में जितने भी ऊंट ओर  बेल गाड़ी चालक है सब पर पुलिस नजर रखे ,जब भी बाजार में आपको ज्यादा वजन लदा हुआ दिखाई दे तो पुलिस उचित कार्वाही करे। ओर में भी कोशिश करूंगा किसी भी  बेल व ऊंट गाड़ी पर ज्यादा वजन नजर आया तो में खुद मुकदमा दर्ज करवाऊंगा, जीव रक्षक इक़बाल खान बीकानेर 

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