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पश्चिमी राजस्थान से खेजड़ी के पेड़ अंधाधुंध काटे जा रहे हें। सरकार और प्रशासन चुप्पी साधे बैठे हैं।

आईरा समाचार बीकानेर राज्य वृक्ष खेजड़ी बेहाल हेम शर्मा पश्चिमी राजस्थान से खेजड़ी के पेड़ अंधाधुंध काटे जा रहे हें। सरकार और प्रशासन चुप्पी साधे बैठे हैं। यह आवाज छह माह पूर्व बीस सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष डॉ. चन्द्र भान की अध्यक्षता में प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में उठी थी। विभिन्न गांवों से भी ये आवाज गाहे बगाहे उठी रही है। अभी जीव रक्षा संस्था फिर प्रशासन को झकझोर रही है। प्रशासन पूरे एक्शन में नहीं है। सोलर कंपनियों की प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष खेजड़ी काटने में संलिप्तता बताई जा रही है। सवाल उठता है कि राजस्थान सरकार ने खेजड़ी को राज्य वृक्ष क्यों घोषित किया है ? इसे बचाने, संर्वधन, संरक्षण करने, इसकी उपादेयता को देखते हुए ही ना। खेजड़ी मरूस्थीलय क्षेत्र का मरूभिद् प्रकृति का पेड़ है। मरूस्थल की वानस्पतिक पारिस्थितिकी तंत्र में इसका क्या महत्व है ये हम खेजड़ी के प्रति लोक मान्यता से समझ सकते हैं। खेजडली गांव में शहीदों की कथा भी खेजडी का महत्व इंगित करती है। धर्म ग्रन्थों में और लोक कथाओं में भी इसकी महत्ता बताई गई है। चलों जो इसको नहीं जानतें है उनको महत्व बताने के लिए राजस्थान सरकार खेजड़ी को राज्य वृक्ष घोषित किया है। इसके पीछे खेजड़ी की उपादेयता का पूरा डाटा है। अगर ये मरूस्थल से लुप्त हो जाए या काट दी जाए तो दुष्परिणामों का एक पूरा वनस्पित शास्त्र है जो शायद जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि ने पढ़ा नहीं होगा। वे राज्य सरकार की खेजड़ी को राज्य वृक्ष घोषणा का भी सम्मान करती तो खेजड़ी की कटाई पर तुरन्त रोक लगा देती। राज्य वृक्ष खेजड़ी की मनमानी कटाई को नहीं रोक पाने के लिए जिला कलक्टर के खिलाफ राज्य सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा तो न प्रशासन समुचित कार्रवाई में रूचि लेगा और न ही खेजड़ी की कटाई रूक पाएगी। जिला कलक्टर को जीव रक्षा संस्था की ओर से दो बार लिखित सूचना देने, फोन पर सूचित करने, कटी खेजडिया, आरे जप्त करवाने, खेजड़ी काटने के आरोप में पुलिस में मामला दर्ज करवाने के बावजूद भी खेजड़ी काट जा रही है। इसके प्रमाण जीव रक्षा संस्था की ओर से दिए जा रहे हैं। खेजड़ी की कटाई रूक नहीं रही है- यह जिला कलक्टर की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। ऐसे जिला कलक्टर क्या प्रशासन चलाएंगे? सोचने की बात है। जिला कलक्टर महोदया 8, 9, 10 मार्च क जयमलसर व नोखा दहिया में स्वचालित आरा मशीनों से सैकड़ों खेजड़ी के पेड पीकअप गाड़ी में भरकर ले जाते पकड़े गए। जयमलसर, नोखा दहिया, भानीपुरा, रणधीसर रोही में खेजड़ी कटी होने के मौके पर निशान पड़े हैं। खेजड़ी कटाई के संस्था के अध्यक्ष मोख राम के पास जी पी एस फोटो भी उपलब्ध है। गौरीसर क्षेत्र में वन माफिया से पीकअप, आरा मशीन, कुल्हाड़ी, फावडे बरामद किए गए। माना जा रहा है 20 फरवरी तक 4 हजार खेजड़ी के पेड़ कटे हैं। तहसीलदार छतरगढ़ की ओर से जिन खेतों से खेजड़ी काटी गई है ऐसे 16 काश्तकारों की खातेदारी निरस्त कर दी गई। थानाधिकारी को मुलजिमों की सारी सूचना होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिला कलक्टर महोदय अब आज कार्रवाई के लिए किसका इंजतार कर रही है। मरूस्थल की बड़ी क्षति की आप जिम्मेदार बन रही है। पेड़ और प्रकृति बोलती नहीं है। अभिशप्त करती है। आप अभिशाप का इंतजार कर रही है ? खेजड़ी काटकर सोलर ऊर्जा पैदा करने से जितना आर्थिक मुनाफा होगा उससे ज्यादा खेजड़ी काटने से पर्यावरण, मरूस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र और इलाके के लोगों को क्षति हो जाएगी। इसकी जल्दी से भरपाई करना मुश्किल हो जाएगा। राज्य वृक्ष खजेड़ी की उपयोगिता और महत्व को समझिए।

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